Vidyasagar nautiyal biography of williams
विद्यासागर नौटियाल: जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान
जन्म: 29 सितम्बर, 1933
निधन: 18 फरवरी, 2012
स्थान: मालीदेवल, जुवा पट्टी, टिहरी गढ़वाल
विद्यासागर नौटियाल हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कथाकार और वामपंथी विचारक थे। उनका जीवन साहित्य और राजनीति के संगम की तरह था। उन्हें पहाड़ का प्रेम चन्द्र भी कहा जाता था। उनके लेखन और राजनीति दोनों में गहरी जड़ें थीं, जो उनके जीवन के हर पहलू में दिखाई देती थीं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विद्यासागर नौटियाल का जन्म उत्तर भारत की पहाड़ी रियासत टिहरी-गढ़वाल में भागीरथी नदी के तट पर स्थित मालीदेवल गांव में हुआ था। उनके पिता नारायण दत्त नौटियाल एक वन अधिकारी थे, जिन्होंने अपने बेटे को प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही दी। बाद में, विद्यासागर ने टिहरी के प्रताप इंटर कॉलेज, देहरादून के डी.ए.वी.
कॉलेज और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.
Salima begum biographyकरने के बाद उनका जीवन लेखन और राजनीति में सक्रिय रहा।
राजनीतिक जीवन
वे 1980 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्य भी बने, जहां उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इसके अलावा, वे चिपको आंदोलन के प्रबल समर्थक रहे और पहाड़ों के जंगलों के बचाव के लिए आवाज उठाते रहे।
साहित्यिक योगदान
विद्यासागर नौटियाल की लेखनी में गहरी सामाजिक और राजनीतिक चेतना थी। उन्होंने 1954 में अपनी पहली कहानी 'भैंस का कट्या' प्रकाशित की, जो एक साहित्यिक पत्रिका में छपी और काफी चर्चा में आई। इसके बाद, उन्होंने कई उपन्यास, कहानी संग्रह और निबंध प्रकाशित किए। उनके प्रमुख उपन्यासों में 'उलझे रिश्ते', 'भीम अकेला', 'सूरज सबका है', और 'उत्तर बयाँ है' शामिल हैं। इसके अलावा, उनकी कहानियां 'सुच्ची डोर' और 'टिहरी की कहानियाँ' भी काफी प्रसिद्ध हुईं।
उनकी कहानियों में समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, जिसमें उन्होंने ग्रामीण जीवन, प्राकृतिक संसाधनों की लूट और शोषण, और समाज के वंचित वर्गों के संघर्ष को प्रमुखता से चित्रित किया है।
सम्मान और पुरस्कार
विद्यासागर नौटियाल को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए। 4 जून 2000 को उन्हें "पहल साहित्यिक सम्मान" से सम्मानित किया गया। उनके योगदान को साहित्यिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोणों से सराहा गया।
मृत्यु
विद्यासागर नौटियाल का निधन 18 फरवरी, 2012 को बंगलुरु के एक अस्पताल में हुआ। उनके निधन से साहित्यिक और राजनीतिक जगत में एक अपूरणीय शून्य उत्पन्न हुआ, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
कृतियाँ
- उपन्यास: 'उलझे रिश्ते', 'भीम अकेला', 'सूरज सबका है', 'उत्तर बयाँ है', 'झुण्ड से बिछुड़ा', 'यमुना के बागी बेटे'।
- कहानी संग्रह: 'टिहरी की कहानियाँ', 'सुच्चि डोर', 'दस प्रतिनिधि कहानियाँ'।
- यात्रा संस्मरण: 'भीम अकेला', 'सूरज सबका है'।
- निबंध संग्रह: 'बागी टिहरी'।
- आत्मकथा: 'मोहन गाता जाएगा'।
विद्यासागर नौटियाल का जीवन संघर्ष, साहित्य, और समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा। उनके लेखन और उनके विचारों ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
Frequently On one\'s own initiative Questions (FAQs)
1.
विद्यासागर नौटियाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
- विद्यासागर नौटियाल का जन्म 29 सितम्बर 1933 को उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले के मालीदेवल गाँव में हुआ था।
2.
विद्यासागर नौटियाल की शिक्षा कहां हुई थी?
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने प्रताप इंटर कॉलेज, टिहरी से हाई स्कूल और डी.ए.वी.
कॉलेज, देहरादून से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। फिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. किया।
3.
विद्यासागर नौटियाल के प्रमुख कृतियाँ कौन सी हैं?
- उनके प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं:
- उपन्यास: 'उलझे रिश्ते', 'भीम अकेला', 'सूरज सबका है', 'उत्तर बयाँ है', 'झुण्ड से बिछड़ा', 'यमुना के बागी बेटे'।
- कहानी संग्रह: 'टिहरी की कहानियाँ', 'सुच्ची डोर', 'दस प्रतिनिधि कहानियाँ'।
- अन्य कृतियाँ: 'मोहन गाता जाएगा' (आत्मकथा अंश), 'बागी टिहरी' (निबंध संग्रह), 'देशभक्तों की क़ैद में' (संस्मरण)।
4.
विद्यासागर नौटियाल का राजनीतिक करियर क्या था?
- उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत 13 साल की उम्र में की थी। वे 1957 में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इसके बाद उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में कई आंदोलनों में भाग लिया और 1980 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए।
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विद्यासागर नौटियाल को 'पहाड़ का प्रेम चन्द्र' क्यों कहा जाता है?
- विद्यासागर नौटियाल को 'पहाड़ का प्रेम चन्द्र' इस लिए कहा जाता है क्योंकि उनकी लेखनी पहाड़ी समाज की समस्याओं, संस्कृति और जीवन को गहरी समझ और संवेदनशीलता के साथ चित्रित करती है, जैसे प्रेम चन्द्र ने हिंदी साहित्य में ग्रामीण जीवन की गहरी छाया डाली।
6.
विद्यासागर नौटियाल के जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ क्या थे?
- 1947 में भारत की आज़ादी के बाद 13 साल की उम्र में उनकी पहली गिरफ्तारी हुई।
- 1957 में उन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- 1962 में वे चीनी आक्रमण के दौरान गिरफ्तार हुए और दो साल जेल में रहे।
- 1980 में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने और कई चुनावों में भाग लिया।
7.
विद्यासागर नौटियाल की पहली प्रकाशित कहानी कौन सी थी?
- उनकी पहली कहानी 'भैंस का कट्या' थी, जो 1953 में प्रकाशित हुई थी। यह कहानी कुछ विदेशी भाषाओं में भी अनुवादित हुई थी।
8.
विद्यासागर नौटियाल की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं?
- उन्होंने 1958 में भारतीय प्रतिनिधि मण्डल के नेता के रूप में सोवियत संघ, हंगरी, आस्ट्रिया, और अफगानिस्तान का दौरा किया।
- 2000 में उन्हें 'पहल साहित्यिक सम्मान' से नवाजा गया।
9.
विद्यासागर नौटियाल का निधन कब हुआ था?
- उनका निधन 12 फरवरी 2012 को बंगलुरू के एक अस्पताल में हुआ था।
10. विद्यासागर नौटियाल की लेखनी का मुख्य विषय क्या था?
- उनकी लेखनी में समाज और राजनीति की कड़ी आलोचना, पहाड़ी जीवन की विशेषताएँ, और संघर्षशील जनजीवन की छवियाँ प्रमुख रूप से सामने आती हैं।